ताबो: प्राचीन बौद्ध मठ-प्रवेश करते ही दाईं तरफ नवनिर्मित गोम्पा है। इनके मध्य उत्कृष्ट कला-स्तूप को आकर्षक रंगदार चित्रकारी से सजाया गया है। इसे "छोपतन" कहते हैं। कलाकार लामा द्वारा असंख्य बौद्ध सम्बन्धी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं, भोजपत्र पर उत्कृष्ट कलाकारी के मध्य लिखे मंत्रो से इसे भरा जाता है। सोना-चांदी डाला जाता है और तरह-तरह के अनुष्ठानों द्वारा इसका निर्माण होता है।
तबो मठ को स्पीति घाटी में 960 ईसवी में एक महान विद्वान रिचेन जंगपो द्वारा स्थापित कराया गया था। ये स्थान बहुत ही सुन्दर है साथ ही ये जगह पर्यटकों के अलावा बौद्ध धर्म के मानने वालों के भी आकर्षण का केंद्र है। इस धार्मिक संस्थान को स्थापित करने का असल उद्देश्य ये था की बौद्ध धर्म के मानने वाले धार्मिक शिक्षा के अलावा और भी अन्य विषयों का ज्ञान प्राप्त कर सकें।
बताया जाता है कि इस मठ ने 11 वीं और 20 वीं शताब्दी में अविश्वसनीय सफलता को प्राप्त किया साथ ही आज भी इस मठ की तिब्बती कला और उसके विकास को देख कर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं। बताया जाता है की ये मठ हिमालय पर्वतमाला में सबसे पुराना काम मठों में से एक है। यहाँ पर सबसे अधिक पर्यटक आने का कारण यहाँ की अति सुन्दर पेंटिंग्स, मूर्तियां, और प्राचीन ग्रंथों के अलावा यहां दीवारों पर लिखे गए शिलालेख हैं।
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